Saturday 5 November 2016

हल्की सी रेखा

हल्की सी रेखा

  
भाग - एक

  पृथ्वी के आधे भाग ने अपने सियामीज जुड़वा भाई, दूसरे आधे भाग को अपनी रात की चादर ओढ़ा दी और खुद जाग गया. पहले जुड़वा भाई का दिन ढल गया; एक नयी कहानी लिखकर. नये अनुभवों की पोटलियां लोगों को बांटकर, कुछ बाकी रह गयी अनुभव की पोटलियाँ रात के लिए रखे हुए. दूसरे जुड़वा भाई का दिन उग आया; लोगों को बांटने के लिए अनुभवों की नयी पोटलियाँ लेकर. मोबाइल में बजते अलार्म के गाने ‘तू ही मेरी शब है सुबह है तू ही दिन है मेरा’ ने किंशु को बता दिया कि सुबह के छः बज गए हैं. किंशु जल्दी से उठ बैठी.
    किंशु अपनी नौकरी की जिम्मेदारी पूरी करने के साथ ही, अपने कुछ सतरंगे सपने पूरे करने, पांच दिन के लिये गाँव आई हुई है. किंशु के घर वाले उसके ऐसे गाँव-जंगल में घूमने से डरते हैं. उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित भी रहते हैं, लेकिन उससे अधिक वे किंशु के कार्यक्षेत्र, उसकी अभिरुचियों पर गर्व करते हैं. वे मानते हैं कि उनकी किंशु सबसे अलग है. आजकल की उसकी उम्र की लड़कियां जहाँ दोस्त, कॉलेज, ऑफिस, पार्टीज, मूवीज, का आनंद उठाते हुए सिर्फ अपनी सेल्फी पोस्ट करती रहती हैं. वहीँ किंशु प्रकृति के बेहतरीन पलों को, जंगल की ,गाँव की, शहर की जिंदगी को अपने कैमरे में कैद करने उत्सुक रहती है. अपने इसी जुनून में वह पत्रकारिता कॉलेज में पढ़ाने का काम छोड़कर एक समाचार पत्र में ग्रामीण संवाददाता का काम कर रही है. जिससे वह नौकरी के साथ अपनी अभिरुचि के लिए भी अवसर निकाल सके.
   वह अपने फोटोग्राफी के जुनून में अपनी ‘वनदेवियाँ चित्र श्रृंखला’ के लिए जंगल में जीवन जीती महिलाओं की तस्वीरें इकट्ठा करने के प्रयास में है. गाँव-गाँव, जंगल-जंगल, महुआ, डोरी, मशरूम, लकड़ियाँ बटोरती औरतें, लकड़ियाँ काटती औरतें, कमार, बिरहोर, मुड़िया, माड़िया, गोंड, उराँव औरतें. गाँवों के दौरे में उसके साथ और भी लोग होते है. वे एक टीम के रूप में गाँव की समस्याओं पर रिपोर्ट तैयार करते हैं. उस दिन किंशु और सभी साथी जल्दी तैयार होकर तेंदू पत्ता बीनने वालों पर एक रिपोर्ट बनाने जंगल की ओर निकल गए.
   जंगल फागुन का उत्सव मना कर अलसाया हुआ सा पसरा था. कोंपलों से लाल-बैंगनी हुए वृक्ष, अब हरीतिमा ओढ़ चुके थे. महुआ के मदमस्त पीले फूल, अब हरियाले डोरी फल में बदल चुके थे. फागुन में लगी जंगल की आग, ‘पलाश’ की दहक भी उसके हरे पत्तों और हरी फलियों से बुझ चुकी थी. सेमल के पेड़ों के नीचे हिरणों ने अब इकठ्ठा होना छोड़ दिया था, क्योंकि अब वहां उनकी भूख मिटाने के लिए सेमल के कर्णफूल नहीं बिछे थे. जंगल अब फिर से सूरज के आक्रामक रुख का सामना करने के लिए अपने हरियाली वर्दी में पत्तों की युवा फौज के साथ तैयार खड़ा था.
   जंगल में चलते हुए किंशु ने पाया, कि जंगल अपने बाहर से होने वाले सूरज के आक्रमण के लिए मुस्तैद था, लेकिन अपने ही घर के एक सदस्य से कहीं हार रहा था. अधिकांश पेड़ों के ऊपर दीमक लगी हुई थी. कई बड़े-बड़े पेड़ तो शायद दीमकों की वजह से ही खड़े-खड़े सूख गए थे. पेड़ों के नीचे मिट्टी के बड़े-बड़े ढूह थे. किंशुक के एक साथी आरव ने पहली बार जंगल देखा था. पहली बार देखे थे, छोटे-छोटे दीमकों के अविश्वसनीय रूप से बड़े घर. उसने एक ढूह के पास जाकर अपनी उंचाई से मापा, तो पाया कि वो ढूह उससे भी तीन-चार फीट ऊँचा था.
   “आरव तुम्हें पता है कि दीमकों की इन बांबियों में कई सांप भी अवैध कब्ज़ा कर रहते हैं. बच कर रहना... कहीं से भी सांप निकल सकता है” किंशुक ने उसे हंसी-हंसी में डराते हुए कहा तो वह चिंहुक कर ढूह से दूर भागा.
   हंसी के ठहाकों के बीच किंशुक आगे कहने लगी. “इतना भी मत डरो आरव. मेरी वन देवियाँ बता रही थी, कि बारिश में ये ढूह सफ़ेद रंग के बारीक मशरूम से भर जाते हैं. जिसे ये लोग ‘कनकी पुटू’ कहते हैं. इसे वे बड़े चाव से खाते हैं. मैंने तो सोच लिया है कि इस बारिश में मैं इन सफ़ेद ढूह परियों को अपने कैमरे में कैद करने जरूर आउंगी, और उनके ‘कनकी पुटू’ का आनंद भी उठाऊंगी“
   “लेकिन अभी तो तुमने कहा कि दीमक वाले ढूहों में सांप भी रहता है. बारिश में तो सांप का खतरा और भी बढ़ जाता है. फिर वे वहां क्यों जाती हैं? तुम भी क्यों जाओगी?” आरव ने चौंकते हुए कहा. उसकी आवाज में चिंता भी पतझड़ की तरह झर रही थी. जिसका कोई असर किंशु पर नहीं था. वह बहार में झूमते कुसुम सी मस्ती में कहती रही,
   “हां! सोचो, मेरी वन देवियाँ कितनी बहादुर होती हैं. डियर आरव! यह मजबूरी नहीं स्वादिष्ट, साहसिक आनंद है, वरना सब्जी के लिए तो जंगल में और भी कई विकल्प हैं मैं भी इसी आनंद के लिए आउंगी.”
   आरव ने एक भरपूर नजर से किंशुक को देखा. उसके मन के नगाड़े पर  वही थाप सुनाई आने लगी-
   “शायद ये तुम्हारा साहसिक आनंद का जज्बा ही है किंशु, जो तुम मुझे अपनी ओर किसी चुम्बक की तरह खींचती हो.”
                                                    - शेष अगले भाग में 
                                               

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