Saturday 6 September 2014

मून की गणेश पूजा


          मून अभी सिर्फ चार साल का है. गोरा, गुदगुदा, नटखट चेहरा, शरारती हंसी,
बड़ी-बड़ी भाव-प्रवण ऑंखें, बरौनियां ऐसी घुमावदार कि आंसू उनमें ही ठहर
जाएँ . जो देखे मोहाविष्ट हो जाएँ लेकिन मून मोहाविष्ट है, ‘माय फ्रेंड
गणेश’ से. उसने जिद करके घर में गणेश स्थापना कराई है. सुबह से वह बहुत
खुश और व्यस्त था पर अभी उसकी आँखों में आंसू ठहरे हुए है.
मून को कस के भूख लग रही है पर जिद है कि खाना नहीं खाना है. क्योंकि आज
गणेश चतुर्थी है और मून ने व्रत रखा है. व्रत में केला, सेब सब खाते है
मून ने भी खाया है पर फिर भी ये भूख है कि शांत ही नहीं हो रही है और इस
लिए किसी भी बात से गुस्सा आ जाता है और पलकों पर बार बार आंसू ठहर जाते
हैं.
        मम्मी अब क्या करें? कुछ भी खा लो पर पेट तो दाल- चावल- रोटी से ही भरता
है. मम्मी की सारी दलीलें बेकार, ‘दिन भर उपवास रहते है पर शाम को खाना
खा लेते हैं, अच्छा खाना नहीं खाते तो कम से कम आलू साबूदाना खा लो , मून
कि दलील, ‘बच्चा समझ कर झुठ्ठू बना रहे हो, छि: साबूदाना…बस मम्मी की
सारी दलीलें गई पानी में . केला सेब तो फल ही है, भूख से बिफरे बच्चे कि
भूख मिटाने का दम उनमें कहाँ. इसीलिए मून बार-बार चिड़चिड़ा रहा है.
     
         मम्मी ने समझाया कि मून लड्डू भी खा सकते हो, लड्डू गणेश जी को भी बहुत
पसंद हैं. मून ने लड्डू खाने के लिए हाँ कर दी. मम्मी लड्डू लेने गई तो
मून गणेश जी की मूर्ति को ध्यान से देखते बैठा रहा. मम्मी आई तो मून इस
निष्कर्ष पर पहुँच गया था कि लड्डू तो गणेश जी का चूहा खाता है, मूर्ति
में तो गणेश जी के पास लड्डू नहीं है तो वह भी लड्डू नहीं खायेगा.
        
        मम्मी अब क्या करें? मम्मी ने तीन थालियों में खाना निकाला. उन्हें गणेश
जी के पास रखा, अगरबत्ती जलाई, घंटी बजाते हुए गणेश जी की पूजा की फिर एक
थाली पापा को प्रसाद दिया, उनके पांव छुवे, एक थाली अपने लिए रखी, एक
थाली मून को दी. मून ने ध्यान से मम्मी का चेहरा देखा, ‘मुझे फिर से
मम्मी खाना खिलाने के लिए झुठ्ठू तो नहीं बना रही है,’ पर मम्मी के चहरे
पर उसे ऐसा कुछ नहीं मिला. मून को भूख भी जबर्दस्त लगने लगी पर वह रुका
रहा. मम्मी ने समझाया, ‘बेटा किसी भी उपवास में प्रसाद खाते ही है और
प्रसाद खाने से मना नहीं करते हैं, चलो खा लो, देखो पापा भी खा रहे
हैं.मून ने एक बार मम्मी को देखा, एक बार पापा को.
हुम्म!

        उसके बाद से घर में आई खाने की हर चीज गणेश जी का प्रसाद बनने लगी
है- आलू, प्याज, सब्जियां, सब कुछ. इसके अलावा जो भी चीज मून को खानी
हों, पहले गणेश जी में चढ़ती हैं, उनकी घंटी बजा कर पूजा होती है, प्रसाद
लगता है और फिर लम्बोदर के भक्त द्वारा उदरस्थ.